




Shri Mahaveer Digamber Jain Mandir, Chitrakoot Colony, Sanganer, Jaipur
श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर में आपका स्वागत है, जो जयपुर के सांगानेर स्थित चित्रकूट कॉलोनी में स्थित एक पवित्र और आध्यात्मिक स्थल है। 1986 में स्थापित, यह मंदिर भगवान महावीर की शिक्षाओं का प्रतीक है और शांतिपूर्ण वातावरण में भक्ति और समुदाय की सेवा करता है।
Temple History – A Legacy of Faith and Devotion
श्री महावीर दिगम्बर जैन मंदिर चित्रकूट कालोनी सांगानेर जयपुर के पास स्थित है। वर्ष 1987 मे यहां लगभग 8 परिवारजन 01 डां. श्री प्रभाकर जी सेठी,02 श्री चांदमल जी बज,03 श्रीपदम चंद जी अजमेरा राहोली वाले,04 श्री प्रकाश चंद जी सौगानी चनानी वाले,05 श्री सुभद्र जी कासलीवाल, 06 श्री सत्य प्रकाश जी कासलीवाल,07 श्री महावीर कुमार जी बडजात्या लालसोट वाले,08श्री चांदमल जी झांझरी रानोली वाले ,बाहरी क्षेत्र जयपुर के आस पास से आकर निवासरत हुए थे। देव दर्शन हेतु सांगानेर स्थित संघी जी मंदिर जाना पडता था। इन सभी परिवारजन ने मिलकर श्री लक्ष्मी नारायण गृह निर्माण सहकारी समिति से 240 गज जमीन तथा श्री छोटू जी से 260 गज कुल 500 गज जमीन ।चित्रकूट एवम वर्धमान कॉलोनी दोनो की संयुक्त जमीनपर मंदिर स्थापित हेतु जमीन खरीदी। सभी ने 1008श्री महावीर भगवान का मंदिर नामकरण रखने का निर्णय लिया।परन्तु मंदिर निर्माण एवम मूर्ति लाने मे कई प्रकार की रूकावट आई। सभी परिवारजन ने सामूहिक मीटिंग कर श्री चांदमल जी बज, श्री प्रकाश चंद जी सौगानी, श्री पदम चंद जी अजमेरा जीको किसी भी मंदिर सेमूर्ति लाने हेतु अधिकृत किया गया। श्री बज साहब श्री सौगानी जी,श्री अजमेरा जी ने कई मंदिरोमे सम्पर्क किया पर मूर्ति लाने मे असफ़ल रहे । इस कार्य मे सभी परिवारजन साथ रहे।परन्तु हिम्मत नही हारी। पुरूषार्थ करतेरहे। श्री बज साहब श्री सौगानी जी ,श्री अजमेरा जी व सभी परिवारजन ने मिलकर पुन:प्रयास कर नागोरियो के चोक मन्दिर से सम्पर्क कर उनके समाज से स्वीकति लेकर श्री1008 श्री महावीर भगवान की धातु निर्मित की प्रतिमा लेकर आये। पूरे समाज मे खुशी की लहर छा गयी। । सभी परिवारजन ने मिलकर 10-12फुट का कमरे का निर्माण करवाया वर्ष 1987 रोटतीज के शुभ पावन अवसर पर मूलनायक मूर्ति स्थापित कर तीस चौबीसी की पूजा कर रोट चढाया। मंदिर निर्माण के बाद धीरे धीरे जैन परिवारजन आकर बसने लग गए। उस समय यहां पानी के लिए बोरिंग नही था पानी की पूजा-पाठ अभिषेक हेतु व्यवस्था करनी पडती थी। तब सन 1989 मेआचार्य श्री कुंथुसागर जी महाराज ससंघ दर्शनार्थ पधारे।तब समाज के सभी लोगो ने मिलकर आचार्य श्री से जल हेतु बोरिग खुदवाने का स्थान बताने हेतु निवेदन किया। तब आचार्य श्री ने ध्यान लगाकर बोरिंग हेतु जगह पर एक बदाम रख यहां पर बोरिंग खुदवाया गया जिसमे पर्याप्त मात्रा से अधिक पानी मिला जिससे आज तक पानी मिल रहाहै।
धीरे धीरे परिवार बढना शुरू हुआ। मंदिर जी के भाद्रपद मास मे कार्यक्रम शुरू होने लगे।उसमे चोदस,पडवा की बोली से माल का शुभारंभ हुआ। उस समय श्री अनिल जी पांडया बनेठा ने श्री जी की प्रथम माल पहन कर से शुभारंभ हुआ। तब से यह परम्परा चलती आ रही है।
धीरे धीरे परिवार बढते गये । मंदिर छोटा पडने लगा। तब सन1993मे मुनि पुंगव 108श्री सुधासागर जी महाराज श्री अतिशय क्षेत्र पदमपुरा मे पधारे यहां कुछ दिनो के लिए प्रवासरत रहे। प्रवास के दोरान मंदिर कमेटी के अध्यक्ष डां श्री प्रभाकर जी सेठी एवम मंत्री श्री रमेश चंद जी पाटनीएव समस्त पदाधिकारी व श्री रतन लाल जी सौगानी जो उस समय पदमपुरा कमेटी मे थे के साथ मंदिर चित्रकूट के दर्शनार्थ हेतु निवेदन किया गया। मुनि श्री ने स्वीकृति प्रदान की। मुनि श्री यहां दर्शनार्थ पधारे इनका प्रथम प्रवास जयपुर का इस चित्रकूट मंदिर से हुआ।मुनि श्री से मंदिर विस्तार हेतुनिवेदन किया। तब मुनि श्री ने कहा कि दुकान मे माल रखोगे तो ग्राहक आयेगें। उनका कथन था कि कमेटी व समाज मिलकर धन इकट्ठा करो तब मंदिर बनने की बात बनेगी। तथा मुनि श्री ने विशाल मंदिर बनने का आशीर्वाद प्रदान किया।इसके बाद मुनि श्री का संघी जी मंदिर के लिए विहार हुआ । इसके बाद कमेटी व समाज मिलकर आस पास गांवो से सम्पर्क कर चंदा इकट्ठा किया परन्तु बहुत कम ही सहयोग मिला।सन1995 मे श्री रमेश चंद जी मंदिर समिति मे मंत्री बने डॉ प्रभाकर जी अध्यक्ष थे दोनो श्रीमान रतन लाल जी काला जो कि श्री रमेश जी पाटनी मंत्री जी के मौसाजी के लडके थे, वे तख्ते शाहीरोड जयपुर मे निवास करते थे उनसे मंदिर निर्माण हेतु सहयोग प्रदान के लिए निवेदन किया। इन्होने निवेदन स्वीकार कर मंदिर निर्माण कार्य हेतु 141000 रूपये दिये तथा श्री कंवरी लाल जी अशोक जी (आर.के.मार्बल) किशनगढ वालो ने 51000 रूपये दिये। समाज के लोगो ने निर्माण सामग्री,खिड़की किवाड नकद,राशि का तथा श्री मुरारीलाल जी प्रदीप जी बाकलीवाल संवारिया वालो ने मार्बल दिया। इनके अलावा बहुत लोगो ने सहयोग प्रदान किया इसमे श्री महावीर प्रसाद जी रारा जी का भी विशेष सहयोग रहा। मूल वेदी श्रीमती सूरज देवी जी, राजकुमार जी,रमेश चंद जी, योगेश कुमार जी,विपुल कुमार जी पाटनी(मुशर्रफ ) परिवारजन ने बनवाई एवम मंदिर जी मे शास्त्र जी ,जिनवाणी ,पूजन पाठ संग्रह पुस्तके मय आलमारी सहित उपलब्ध करवायी गई।
वर्ष 1999 मे मंदिर जी का दो तल विशाल मंदिर का विस्तारित रुप से बढ़ गया। तब मुनिपुंगव108 श्री सुधासागर जी महाराज ससंघ सानिध्य मे मिनी पंचकल्याणक करवाकर श्री 1008 मूलनायक श्री महावीर भगवान की बडी पाषाण प्रतिमा मुनि श्री 108 सुधासागर जी महाराज ससंघ के पावन सानिध्य मे बडी प्रतिमा का मूल नायक नामकरण मुनि श्री के श्रीमुख से किया गया स्थापित की गई। उक्त मूर्ति श्री रतन लाल जी कैलाश चंद जी,राजेन्द्र कुमार जी,सुनील कुमार जी सौगानी चनानी वालो ने मूर्ति दी तथा मूल वेदी मे विराजमान की गई ।एवम निर्माण सहयोग किया ।श्री शान्तिनाथ भगवान एवम जिनालय श्री लादूलाल जी जैन परिवारजन ने समाज अनुमति सेपैतृक निवास सीतारामपुरा से लेकर आये।श्री मोतीलाल जी प्रेम चंद जी,अशोक कुमार जी,विमल कुमार जी सौगानी चनानी वालो ने वेदी बनवाई जिसमे श्री शान्ति नाथ भगवान प्रतिमा व अन्य प्रतिमा विराजमान की गई। आदिनाथ भगवान वेदी श्री चिरंजी लाल जी ठोलिया जोबनेर वालो ने वनवाई तथाआसाम वालो ने आदिनाथ भगवान मूर्ति विराजमान की गई। मूल वेदी मे श्री1008 शान्तिनाथ भगवान, श्री1008 श्री महावीर स्वामी दोनो अष्ट धातु प्रतिमा श्री भविष्य कुमार जी गोधा जो कि मन्दिर जी मंत्री थे।तथा श्री महावीर प्रसाद जी रारा जी ने मुर्ति प्रतिष्ठित करवाकर वेदी मे समाज की सहमति से विराजमान की गई। तथा चौबीसी प्रतिमा एव लघु अष्ट धातु प्रतिमा श्री विनोद कुमार जी गंगवाल जी ने समाज की सहमति से विराजमान कीगई।
वर्ष 2001 मेआचार्य श्री108 कुशाग्र नंदी जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री108श्री गोत्तम ऋषि जी महाराज का चतुर्मास समाज द्वारा करवाया गया। जिसमे श्री विनोद कुमार जी गंगवाल जी ने पूरे चतुर्मास का भार संभाला।तथा पूरेसमाज ने मिलकर शिखर निर्माण करवाया। बुजुर्ग लोग ऊपर मंदिर जी के दर्शन करने मे असुविधा को देखते हुए श्री आदिनाथ भगवान काँच का चैत्यालय निर्माण समाज के सहयोग से तथा वेदी मय काच फ्रेम सहित श्रीमती उषा जी /धर्म पत्नी श्री अनिल जी बनेठा जी ने करवाया 2008 आचार्य श्री विशद सागर जी महाराज जी के पावन सानिध्य मे चैत्यालय वेदी प्रतिष्ठा तथा शिखर जी मे मूर्ति स्थापित हुई। श्री चांदमल जी बज( मंदिर समिति कोषाध्यक्ष)एवम पूर्व मंत्री श्री संतोष जी लुहाडिया श्री योगेश जी पाटनी (मुशर्रफ) एव समस्त समाज की देखरेख मे कांच मंदिर चैत्यालय का समस्त कार्य हुआ। उक्त चैत्यालय निर्माण कार्य मे पूरे समाज का सराहनीय सहयोग रहाव
सन 2016 मे श्री प्रकाश चंद जीसौगानी अध्यक्ष श्री अनिल जी दोसी मंत्री। जो वर्ष 2009 से लगातार पदाधिकारी रहेएवम समस्त प्रबंध समिति ने मंदिर जी के दितीय तल पर खडगासन प्रतिमा श्री1008श्री मुनि सुव्रत जी की प्रतिमा श्री कैलाश चंद जी जैन(सिंघल) निवाई वाले परिवारजन तथा श्री1008 पारसनाथ भगवान प्रतिमा श्री अनिल जी दोसी जी परिवारजन ने दी तथा आदिनाथ भगवान धातु प्रतिमा समाज के सहयोग से लेकर आचार्य श्री विशद सागर जी महाराज ससंघ के पावन सानिध्य मेलघु पंचकल्याणक हुआ। आदिनाथ भगवान प्रतिमा श्री सत्य नारायण जी दिनेश कुमार जी मित्तल परिवारजन रामथला वालो ने वेदी मे विराजमान की। तथा श्री कमल कुमार जी अविनाश जी झांझरी सूथडा वाले परिवारजन ने शान्तिनाथ भगवान वेदी मे चंद्र प्रभु भगवान प्रतिमा वेदी मे विराजमान की।दितीय तल पर फर्श टाईल स्वर्गीय श्रीमती सम्पत्त देवी जी धर्म पत्नी स्वर्गीय श्री बोदू लाल जी के मंगल आशीर्वाद एवम प्रेरणा से श्री कैलाश चंद जी स्नेहलता जी बैनाडा परिवारजन ने लगवायी।मंदिर जी मे संत भवन की कमी महसूस होने लगी तब सन 2019 मे श्री केवल चंद जी गंगवाल निमोडिया वाले अध्यक्ष तथा श्री विनोद कुमार जी गंगवाल मंत्री श्री अनिल कुमार बोहरा काशीपुरा वाले कोषाध्यक्ष समिति के बने तथा समस्त कार्यकारिणी के अथक प्रयास से समाज के सहयोग से मिलकर मंदिर जी के पीछे की साइड का प्लाट संत भवन हेतु क्रय किया गया। श्री पारस मल जी बाकलीवाल निमोडिया वाले का भी विशेष सानिध्य (सहयोग ) रहा।जिसका लोकार्पण वर्ष 2020 मे मुनि श्री 108विधासागर जी आचार्य श्री108श्रीशान्ति सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य जी के पावन सानिध्य मे श्री महावीर कुमार जी विकास जी, आशीष जी सचिन,हितेश,जीएवम समस्त वैद सिरोली वाले परिवारजन ने किया। मंदिर जी के दक्षिण मुख्य प्रवेश द्वार भाग खाली था। मंदिर जी मे सिद्ध चक्र विधान पहले नही हुआ । तब गणिनि आर्यिका105 श्री भरतेश्वर मति माताजी के पावन सानिध्य मे आयोजन हेतु श्याम नगर जयपुर मे श्रीफल भेट कर स्वीकृति ली गई। तथा 65मंडलीय विधान हुआ तथा माताजी को पावन वर्षा योग चतुर्मास वर्ष 2021 हेतुनिवेदन करने पर स्वीकृति दी गई तथा चतुर्मास समय मे मंदिर जी अग्रभाग निर्माण शुभारंभ मे सबसे पहले श्री पदम चंद जी पंकज कुमार जी अनुराग जी पापडीवाल माधोराजपुरा वालो ने सहयोग प्रदान किया एवम कार्य सम्पूर्ण हुआ। जिसमे समाज के साथ-साथ निम्न प्रकार से सहयोग मिला
01 लाल पत्थर निर्माण कार्य अग्रभाग दितीय तल :-श्रीमती कमला देवी जी धर्म पत्नी स्वर्गीय श्री रतन लाल जी कैलाश चंद जी,राजेन्द्र जी,सुनील कुमार जी सौगानी चनानी वाले। परिवारजन ।
02 लिफ्ट सहयोग परिवारजन 01
श्रीमती प्रेम लता जी अशोक कुमार जीसुशील जी सौगानी आंधी वाले
02श्री अनिल कुमार जी संभव जी पाटनी प्रह्लाद कॉलोनी
03 लोकार्पण: एवम लिफ्ट छत पर छतरी निर्माण श्री दिनेश कुमार जी बडजात्या परिवारजन लालसोट वाले
मंदिर जी अग्रभाग भूतल लोकार्पण परिवारजन:डॉ श्री प्रभाकर जी ऋषभ जी सेठी रीजन हास्पिटल वालो ने किया
04 मंदिर जी के अग्रभाग निर्माण प्रथम तल लोकार्पण परिवारजन श्रीमती प्रेम लता जी, अशोक कुमार जी सुशील कुमार जी सौगानी आंधी वालो ने किया
05 दितीय तल अग्रभाग निर्माण कार्य लोकार्पण परिवारजन श्री मूल चंद जी श्रीमती शान्ति देवी जी पाटनी पंवालिया वालो ने किया।
06तृतीय तल छतरी निर्माण कार्य श्री दिनेश कुमार जी बड़जात्या लालसोट परिवारजन ने करवाया
07लघु छतरी निर्माण कार्य श्री केवल चंद जी(अध्यक्ष मंदिर जी)योगेश कुमार जी अनिल कुमार जी गंगवाल
08 अमृत कुंड निर्माण कर्ता परिवारजन श्री महेन्द्र कुमार जी वैभव जी पापडीवाल गायत्री नगर प्रथम
इसके साथ-साथ पूरे समाज का तन मन धन सेसहयोग मिला। कोरोना काल मे मंदिर जी मे अतिशय हुए जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण एक अजैन परिवार के पति-पत्नी दोनो के कोरोना हो गया था उनके दो छोटे- छोटे बच्चे थे यह जैन मंदिर जी के पास रीजन हास्पिटल मे भर्ती हुए थे हास्पिटल की चतुर्थ तल पर खिडकी से मंदिर जी का शिखर देख कर आंखो मे अश्रु भरकर मन मे भावना रखी की प्रभु मुझे शीघ्र ठीक कर मेरे परिवारजन का संकट हरो । मै ठीक होते ही परिवारजन के साथ ध्वज चढाने का संकल्प लिया । प्रभु के चमत्कार से दम्पत्ति दो दिन मे ही कोरोना से मुक्त होकर धर्म ध्वज चढवाई।
इसके साथ ही वर्ष 2022 मेश्री केवल चंद जी गंगवाल निमोडिया वालेअध्यक्ष तथा मंत्री श्री अनिल कुमार जी बोहरा काशीपुरा कोषाध्यक्ष श्री सत्य प्रकाश जी कासलीवाल एवम समस्त प्रबंध कार्य कारिणी समिति के प्रयास से एवम पूरे समाज के सहयोग से संत भवन के सामने वाले भवन को क्रय किया गया। श्री योगेश जी पाटनी जी का संत भवन क्रय तथा नवीन भवन क्रय मे विशेष योगदान रहा उक्त दोनौ भवन क्रय मे मुख्य सहयौग भूमिका रही। नवीन भवन निर्माण कार्य
(श्रीमती शकुन्तला जी अमोलक चंद जी पाटनी श्री भरत-भरतेश्वर संत भवन )श्रीमती शकुन्तला जी धर्म पत्नी स्वर्गीय श्री अमोलक चंद जी ,श्री राजेश जी,शैलेश जी मनीष जी पाटनी परिवारजन मारोठ वाले फूल कालोनी दो तल निर्माण कार्य करवाया जा रहाहै । जिसका कार्य प्रगति पर है। संत भवन मे प्रबंध समिति एवम समाज द्वारा संचालित श्रीमती कमला देवी रतनलाल आयुर्वेदिक धर्मार्थ औषधालय शुभारंभ हौने जा रहा है। अग्रभाग निर्माण कार्य प्रथम तल शुभारंभ कर्ता परिवारजन श्री कैलाश चंद जी स्नेहलता जी बैनाडा परिवारजन तथा औषधालय निर्माण कार्य कर्ता परिवारजन श्रीमती कमला देवी जी,कैलाश चंद जी,राजेन्द्र कुमार जी,सुनील कुमार जी सौगानी परिवारजन। निर्माण सहयोगी श्रीमती गुणमाला जी बडजात्या लालसोट वाले ,श्री पदम चंद जी कलश जी बाकलीवाल झिलाय वाले, श्री विनोद कुमार जी शाह प्रह्लाद कॉलोनी, श्रीमती विधा जी अनोपडा बोली वाले।
सोलर कार्य सहयोग समस्त समाज तथा गुप्त, तथा श्री मुकेश कुमार जी बैनाडा आगरा, श्री हेमन्त जी राहुल जी बाकलीवाल लागडियावास।
संत भवन व इसके सामने भवन क्रय की वैकल्पिक व्यवस्था मे श्री महावीरकुमारजी सौगानी बोली वाले, श्री सत्यप्रकाशजी कासलीवाल, श्री विनोदकुमारजी गंगवाल, श्री कैलाश चंद जी बैनाडा,श्री जयकुमारजी झागवाले, श्री मूल चंदजी पाटनी पवालियावाले ,श्री शैलेश जीपाटनी ,श्री रमेशचंदजी गंगवाल निमोडिया वाले, श्री अनिल जी गंगवाल निमोडिया वाले उक्तदोनो भवन इन सभी की वैकल्पिकव्यवस्था एवम गुप्त सहयोग से ही संभव हुआ है। श्री संतोष कुमार जी सौध्या जी, श्री कैलाश चंद जी भोच, श्री बाबूलाल जी वैद,श्री निर्मल कुमार जी गंगवाल, श्री बालमुकुंद जी, श्री योगेश जी पाटनी,श्री सुरेश चंद जी जैन(सिंघल) ,श्री ओमप्रकाशजी कटारिया राजमहलवाले, जी का भी विशेष सहयोग योगदान रहा।वर्ष 2005 मे विधा सागर पाठशाला स्वर्गीय श्रीमती विधा जी बज ने शुभारंभ करवाया। तब से डा. श्रीमती अचला जी सौगानी जी एवम वर्तमान मे इनके साथ श्रीमतीअंजू जी काशीपुरा की देखरेख मे संचालित होरही है। बच्चे धार्मिक लाभ ले रहे है। पूरे समाज का सहयोग पाठशाला हेतु मिल रहा है। श्री दिगम्बर जैन महिला महासमिति हर वर्ष संयोजिका श्रीमतीअंजना जी गंगवाल जी धार्मिक शिक्षण शिविर आयोजित करती है।,श्रीमती उषा जीबिलाला जिनवाणी सार संभाल करती है।श्री सुरेन्द्र जी बज प्रतिदिनस्वाध्याय वाचन करवाते है। श्रीमती कीर्ति जी गंगवाल प्रतिदिन नित्य शान्तिधारा मे मधुर आवाज मे शान्तिधारा वाचन होता है । जो सराहनीप है। तथा श्री विनोद कुमार जी श्रीमती कीर्ति जी गंगवाल जी परिवारजन से सभी 24 तीर्थंकर के निर्वााण लड्डू चढाया जाता रहा है। जो एक सराहनीय प्रेरणा है। वर्ष 2022 मे परम पूज्य आचार्य श्री 108 श्री वसुनंदि जी महाराज के सुयोग्य शिष्य परम पूज्य मुनि108 श्रद्धा नंद जी,पवित्रानंदि जी महाराज ससंघ केपावन सानिध्य मे फाल्गुन मास मे अष्टानिका मे सिद्ध चक्र महामंडल विधान का आयोजन हुआ। उसमे श्रीमती रेखा जी-किरीटभाई शाह गुडगांव(हरियाणा) प्रवासी परिवारजन मे श्रीमती रेखा जी शाह के अमेरिका प्रवास समय मे कोरोना हो गया था। वे लगभग जीवन मृत्यु के अंतिम छोर की ओर थी। पूरे परिवारजन ने त्रिलोकीनाथ 1008 श्रीभगवान महावीर स्वामी से प्रार्थना की की कोरोना मुक्त होते ही स्वर्ण छत्र चढाने का संकल्प लिया । भगवान की कृपा एवम मंगल आशीर्वाद से शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर मुनि श्री के सानिध्य मे मंगल आशीर्वाद लेकर छत्र चढाया। तथा नवीन भवन क्रय मे 51000 रू. देकर सहयोग प्रदान भी किया।।
श्री भगवान महावीर स्वामी की इस अतिशय कारी प्रतिमा केदर्शन लाभ लेकर मन्न्त करने से मनोकामना पूर्ण होती है।
मन्दिर जी के समस्त क्रियाकलापो मे प्रबंध कार्य कारिणी समिति एवम नव युवक मंडल ,महिला मंडल समय समय पर धार्मिक आयोजन करवाकर धर्म प्रभावना करवाती रही है। तथा प्रतिवर्ष बाडा पदममपुरा की पदयात्रा नवयुवक मंडल समाज के सहयोग से लेकर जाते रहे हसभी के कार्य सराहनीप रहे है।
मंदिर जी समिति के सफल कार्यकाल निम्न प्रकार से रहा
01 डॉ. श्री प्रभाकर जी सेठी अध्यक्ष
02 श्री कैलाश चंद जी सिंघल निवाई वाले अध्यक्ष
03 श्री पदम चंद जी अजमेरा राहोली वाले अध्यक्ष
04 श्री अनिल जी पांड्या बनेठा वाले अध्यक्ष
05श्री प्रकाश चंद जी बाकलीवाल चांवड के मढ। कार्य वाह अध्यक्ष
06 श्री प्रकाश चंद जी सोगानी चनानी वाले अध्यक्ष
07 श्री केवल चंद जी गंगवाल निमोडिया वाले वर्तमान अध्यक्ष
समस्त समाज के सहयोग से मन्दिर जी का चहुंमुखी विकास हौ रहा है ।तथा परिवारो मे वृद्धि हो रही है । वर्तमान मे लगभग 315 परिवारजन निवासरत है। सभी की उन्नति व प्रगति हो रही है। सभी के उज्जवल भविष्य की कामना करते है। आशा करते है कि सभी का भविष्य मे भी ऐसा सहयोग मिलता रहेगा। इसी आशा के साथ
सभी को जय जिनेन्द्र।
Architectural Grandeur – A Masterpiece of Jain Heritage
मंदिर की वास्तुकला का हर पहलू जैन धर्म की आध्यात्मिकता को दर्शाता है। नक्काशीदार खंभे, शिखर और प्रवेश द्वार पारंपरिक जैन शैली में बनाए गए हैं, जो इसके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को उजागर करते हैं। यह स्थल न केवल एक पूजा स्थल है, बल्कि एक ऐसा स्थान भी है जहाँ भक्त ध्यान, प्रार्थना, और मन की शांति प्राप्त कर सकते हैं।
Our Values and What We Do – Guided by the Teachings of Lord Mahaveer
मंदिर नियमित रूप से पूजा, ध्यान सत्र, और धार्मिक प्रवचन का आयोजन करता है, जिनमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। विशेष रूप से महावीर जयंती, पaryushan, और दीपावली पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
Our Community – Building Unity Through Faith and Service
हमारा समुदाय एकता, सेवा और सहयोग के सिद्धांतों पर आधारित है। हम अपने समुदाय के सदस्यों को विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक और सेवा कार्यों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। मंदिर के सदस्य विशेष कार्यक्रमों और आयोजनों में सक्रिय रूप से शामिल होकर भगवान महावीर के सिद्धांतों का पालन करते हैं और इसे जन-जन तक पहुँचाते हैं।
श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर न केवल एक पूजा स्थल है, बल्कि आध्यात्मिकता, सेवा, और सामुदायिकता का एक अभिन्न केंद्र है।
मंदिर ऊँचाई वास्तुकला मानचित्र
मंदिर ऊँचाई वास्तुकला मानचित्र एक ऐसा नक्शा होता है जो मंदिर के विभिन्न हिस्सों की संरचना और उनकी ऊँचाई को दर्शाता है। श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर के लिए यह नक्शा निम्नलिखित प्रमुख भागों को प्रदर्शित कर सकता है

मंदिर का मुखौटा (Facade): मुख्य द्वार, नक्काशीदार स्तंभ, मुख्य गुंबद (शिखर) और पत्थर की अद्भुत नक्काशी को दिखाने वाला सामने का दृश्य।
गर्भगृह (Sanctum Sanctorum): मंदिर के भीतर का सबसे पवित्र स्थान जहाँ भगवान महावीर की मुख्य प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर का सबसे ऊँचा और संरक्षित भाग होता है।
प्रार्थना हॉल (Prayer Hall): गर्भगृह के चारों ओर का बड़ा खुला क्षेत्र जहाँ भक्त प्रार्थना और ध्यान के लिए बैठते हैं। इस क्षेत्र में प्रवेश द्वार और रास्तों का संतुलित लेआउट भी होगा।
सजावटी विशेषताएँ (Ornamental Features): जैसे मेहराब, झरोखे, और जालियाँ जो पारंपरिक जैन वास्तुकला की अद्वितीयता को दर्शाते हैं।
शिखर और गुंबद (Shikhara & Domes): गर्भगृह के ऊपर का मुख्य शिखर और आसपास के गुंबदों की ऊँचाई और विस्तार को दर्शाने वाला भाग, जो आध्यात्मिकता के प्रतीक के रूप में दर्शाया जाता है।
आंगन और रास्ते (Courtyards and Pathways): मंदिर के चारों ओर खुले क्षेत्र, जिनका उपयोग सामूहिक सभाओं और जुलूसों के लिए किया जाता है। इसमें लैंडस्केप उद्यान और चलने के रास्ते भी शामिल होते हैं।
आध्यात्मिक अनुभवों का संगम
Morning and Evening Prayers
Daily Devotional Prayers for Inner Peace
Spiritual Practices & Meditation Sessions
Enhancing Mindfulness and Inner Purity
Cultural & Religious Activities
Celebrating Festivals and Strengthening Community Bonds
Our memories
What people say
Its fantastic holy place to visit with faimily there is five temple of god mahveera s all on one we can say its totally peaceful ans soulfull place.
Pradhuman
श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर एक अद्भुत स्थान है। यहां की शांति और पवित्रता मन को सुकून देती है। मंदिर का वास्तुकला बहुत ही सुंदर है, और धार्मिक वातावरण में समय बिताना आत्मा को शुद्ध करने जैसा अनुभव होता है। जयपुर आने पर यहां जरूर आएं।
JVPIS School
यह मंदिर बहुत ही पवित्र और शांतिपूर्ण स्थान है। यहां की मूर्तियों की सुंदरता और बारीकी अद्भुत है। सभी प्रकार की सुविधाएं भी हैं, और मंदिर में सफाई का विशेष ध्यान रखा गया है। जैन समाज के लिए यह स्थान गर्व का प्रतीक है।